सैलाब मेरे हालात से तेरे हालात का रिश्ता है ऐसाकि बंद दीदों में जैसे सैलाब जा मिले लड़खड़ाते ही सही चाहे बेअदबी सेकुछ ऐसे जवाब दो ज़िंदग़ी को काफ़िरकि ग़म को कोई हिजाब ना मिले जो छूपा लो
मेरे हालात से तेरे हालात का रिश्ता है ऐसाकि बंद दीदों में जैसे सैलाब जा मिले लड़खड़ाते ही सही चाहे बेअदबी सेकुछ ऐसे जवाब दो ज़िंदग़ी को काफ़िरकि ग़म को कोई हिजाब ना मिले जो छूपा लो